सावन के सोमवार शिव जी को जरूर चढ़ाएं ये चीजें; प्रसन्न होकर कृपा बरसाएंगे भगवान भोलेनाथ, मगर इस गलती से हो जाएं सावधान

Sawan Somvar Shiv Pooja Vidhi Upay in Hindi
Sawan Somvar Shiv Pooja Vidhi: इस बार 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुवात हो चुकी है। सावन का यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और उन्हें बेहद ही प्रिय है। इसीलिए सावन के महीने का अत्यधिक विशेष महत्व हो जाता है। मान जाता है कि, सावन महीने में सच्चे मन और श्रद्धा-भाव के साथ की गई भक्ति व पूजा-अर्चना से भगवान शिव बहुत जल्दी रीझ जाते हैं और अपनी कृपा का पात्र बना लेते हैं। वहीं शिव की जल्दी कृपा पाने के लिए सावन के सोमवारों की महिमा और खास है।
हालांकि, भोलेनाथ की आराधना का वैसे तो न कोई विशेष दिन है और न विशेष समय। आप नित दिन किसी भी समय भगवान शंकर की पूजा कर सकते हैं। इसलिए सावन के सभी दिन ही शिव जी के प्रिय हैं। लेकिन शिव की विशेष कृपा पाने के लिए सावन के सोमवार सबसे शुभफलदायी माने जाते हैं। जैसे सावन का महीना महादेव को प्रिय है, वैसे ही सभी दिनों में दिन सोमवार भोलेनाथ को विशेष रूप से समर्पित है। इस साल सावन में कुल 5 सोमवार पड़े हैं। आज (14 जुलाई को) पहला सोमवार है। सावन का आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा।
सावन के सोमवार कैसे करें शिव जी की पूजा?
हम जानते हैं कि, सावन महीना शुरू होते ही आप भगवान शिव की पूजा-अर्चना जरूर कर रहे होंगे। आप चाहते होंगे कि भोलेनाथ आपको आशीर्वाद देकर आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हुए धन वैभव और सुख-समृद्धि प्रदान करें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, सावन पर नित दिन या खासकर सोमवार को शिव जी की पूजा कैसे करनी चाहिए? सावन पर शिव पूजा का सही ढंग क्या है? शिव पूजा की सही विधि क्या है? शिव पूजा के नियम क्या हैं? आइए आज हम आपको यहां बता रहे हैं।
सावन के सोमवार पर सुबह और शाम की पूजा काफी शुभ मानी जाती है। इसलिए सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ सफ़ेद कपड़े पहनें। सोमवार को आप व्रत धारण कर सकते हैं। वहीं आप नहाने के बाद स्वच्छ और पवित्र होकर भोलेनाथ की पूजा करने के लिए मंदिर जायें या अगर घर पर ही स्थापित शिवलिंग है तो वहां पूजा-अर्चना करें। शिव पूजा करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें। शिव पूजा विधि के अनुसार, आप सबसे पहले शिवलिंग पर जल और गंगाजल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से करें। इसके बाद फिर से जल चढ़ाकर शिवलिंग को साफ करें। शिवलिंग साफ करने के बाद अब शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक, शमी, केसर, अक्षत और सुगंधित सफ़ेद पुष्प चढ़ाएं। साथ ही भोलेनाथ को भस्म और चन्दन का लेप करें। इसके बाद भगवान शिव को सफ़ेद मिठाई या फल का भोग लगाएं। शिवलिंग पर सभी चीजें अर्पित करते समय ॐ नमः शिवाय या नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। अंत में श्रद्धा भाव से भगवान शिव की आरती उतारें।
इसके बाद भगवान शिव के आगे नतमस्तक होते हुए और बम-बम भोले के जयकारे के साथ पूजा संपन्न करें। भूल-चूक की माफी मांग लें। बस ध्यान रहे कि, भगवान शिव पर भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना है। उन पर सिंदूर भी नहीं चढ़ाना है। सावन के सोमवार पर शाम के वक्त प्रदोष काल में रुद्राभिषेक करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सावन के दिनों में आप शिवलिंग पर हरी मूंग के 108 दाने भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करना शुभ होता है।
खाली एक लोटे जल से भी बन जाएगी बात
सावन के महीने में भोलेनाथ की पूजा के साथ ही कांवड़ यात्रा भी की जाती है।शिव भक्त श्रद्धा पूर्वक दूर-दूर तक महादेव की आराधना के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं और उनपर गंगा जल से जलाभिषेक करते हैं। वैसे भगवान शिव बड़े दयालु हैं। वह सबसे जल्दी रीझ जाते हैं। शिव की पूजा में सबसे ज्यादा महत्व आपकी श्रद्धा-भाव का है। आप कुछ भी न करें। सिर्फ सच्चे गहरे भाव से शिव को खाली पुकारते ही रहें। आपकी बात इतने में भी बन जाएगी। वहीं शिव जी सिर्फ एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार सावन 9 अगस्त को समाप्त होगा।